मनोरंजन

श्रीनगर (झारखंड) और पंडुका (बिहार) में सोन नदी पर बन रहे पुल का आज हुआ शिलान्यास

Written by Amit Suman (Managing Editor)

गढ़वा | पलामू : सोन तटीय क्षेत्रों की वर्षों पुरानी मांग सोन नदी पर पुल निर्माण का सपना आज साकार हो गया। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आज बिहार के रोहतास में सोन नदी पर पण्डुका के पास 210 करोड़ रुपए की लागत से 1.5 किमी लंबाई के 2-लेन उच्चस्तरीय आर.सी.सी. पुल के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया।

शिलान्यास कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल, सासाराम सांसद छेदी पासवान, पलामू सांसद विष्णु दयाल राम की उपस्थिति में आज शिलान्यास किया गया। इस पुल के बनने से NH-19 और NH-39 सीधे जुड़ जाएंगे।

जिससे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच आवागमन सुगम हो जाएगा। वर्तमान में रोहतास जिले के पण्‍डुका और झारखंड के गढ़वा जिले से श्रीनगर पहुॅंचने में 150 किमी अंतर तय करना पड़ता है। इस पुल के बनने से इस सफर में चार घंटे की बचत होगी।

डेहरी पुल पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा और औरंगाबाद, सासाराम शहरों को जाम की समस्या से भी छुटकारा मिलने में आसानी होगी। पण्डुका क्षेत्र में इस पुल के बनने से आस- पास के क्षेत्रों के और राज्यों के औद्योगिक एवं कृषि और डेयरी उत्पाद की बाजार तक पहुॅंच आसान होगी। इससे समय और ईंधन की भी बचत होगी।

इधर नाविक अमर चौधरी ने कहा कि श्रीनगर में संचालित हरिहरपुर नाव घाट आठ लाख अस्सी हजार में पिछले साल डाक हुआ था। नाव परिचालन से कई लोगों का रोजी रोजगार मिलता था लेकिन पुल बनने से खुशी है। मेरौनी गांव निवासी सह बिहार के परछा मध्य विद्यालय में कार्यरत जयेंद्र तिवारी ने बताया कि सोन नदी पार कर प्रतिदिन विद्यालय जाने में काफी परेशानियों का सामना किया है।

तिलक मांझी जिन्होंने ने अंग्रेज़ कलेक्टर को अपने जहरीले तीर से मार गिराया

झारखंड/बिहार : तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 को बिहार के सुल्तानगंज में ‘तिलकपुर’ नामक गाँव में एक संथाल परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम सुंदरा मुर्मू था. वैसे उनका वास्तविक नाम ‘जबरा पहाड़िया’ ही था. तिलका मांझी नाम तो उन्हें ब्रिटिश सरकार ने दिया था.

पहाड़िया भाषा में ‘तिलका’ का अर्थ है गुस्सैल और लाल-लाल आंखों वाला व्यक्ति. साथ ही वे ग्राम प्रधान थे और पहाड़िया समुदाय में ग्राम प्रधान को मांझी कहकर पुकारने की प्रथा है. तिलका नाम उन्हें अंग्रेज़ों ने दिया. अंग्रेज़ों ने जबरा पहाड़िया को खूंखार डाकू और गुस्सैल (तिलका) मांझी (समुदाय प्रमुख) कहा. ब्रिटिशकालीन दस्तावेज़ों में भी ‘जबरा पहाड़िया’ का नाम मौजूद हैं पर ‘तिलका’ का कहीं उल्लेख नहीं है.

तिलका मांझी उर्फ ‘जबरा पहाड़िया’ (जन्म 11 फ़रवरी 1750 13 जनवरी 1785)

तिलका ने हमेशा से ही अपने जंगलो को लुटते और अपने लोगों पर अत्याचार होते हुए देखा था. गरीब आदिवासियों की भूमि, खेती, जंगली वृक्षों पर अंग्रेज़ी शासकों ने कब्ज़ा कर रखा था. आदिवासियों और पर्वतीय सरदारों की लड़ाई अक्सर अंग्रेज़ी सत्ता से रहती थी, लेकिन पर्वतीय जमींदार वर्ग अंग्रेज़ी सत्ता का साथ देता था.

धीरे-धीरे इसके विरुद्ध तिलका आवाज़ उठाने लगे. उन्होंने अन्याय और गुलामी के खिलाफ़ जंग छेड़ी. तिलका मांझी राष्ट्रीय भावना जगाने के लिए भागलपुर में स्थानीय लोगों को सभाओं में संबोधित करते थे. जाति और धर्म से ऊपर उठकर लोगों को देश के लिए एकजुट होने के लिए प्रेरित करते थे.

साल 1770 में जब भीषण अकाल पड़ा, तो तिलका ने अंग्रेज़ी शासन का खज़ाना लूटकर आम गरीब लोगों में बाँट दिया. उनके इन नेक कार्यों और विद्रोह की ज्वाला से और भी आदिवासी उनसे जुड़ गये. इसी के साथ शुरू हुआ उनका ‘संथाल हुल’ यानी कि आदिवासियों का विद्रोह. उन्होंने अंग्रेज़ों और उनके चापलूस सामंतो पर लगातार हमले किए और हर बार तिलका मांझी की जीत हुई.

साल 1771 से 1784 तक जंगल के इस बेटे ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध लंबा संघर्ष किया. उन्होंने कभी भी समर्पण नहीं किया, न कभी झुके और न ही डरे.
उन्होंने स्थानीय सूदखोर ज़मींदारों एवं अंग्रेज़ी शासकों को जीते जी कभी चैन की नींद सोने नहीं दिया.

अंग्रेज़ी सेना ने एड़ी चोटी का जोर लगा लिया, लेकिन वे तिलका को नहीं पकड़ पाए. ऐसे में, उन्होंने अपनी सबसे पुरानी नीति, ‘फूट डालो और राज करो’ से काम लिया. ब्रिटिश हुक्मरानों ने उनके अपने समुदाय के लोगों को भड़काना और ललचाना शुरू कर दिया. उनका यह फ़रेब रंग लाया और तिलका के समुदाय से ही एक गद्दार ने उनके बारे में सूचना अंग्रेज़ों तक पहुंचाई.

सुचना मिलते ही, रात के अँधेरे में अंग्रेज़ सेनापति आयरकूट ने तिलका के ठिकाने पर हमला कर दिया. लेकिन किसी तरह वे बच निकले और उन्होंने पहाड़ियों में शरण लेकर अंग्रेज़ों के खिलाफ़ छापेमारी जारी रखी. ऐसे में अंग्रेज़ों ने पहाड़ों की घेराबंदी करके उन तक पहुंचने वाली तमाम सहायता रोक दी.

इसकी वजह से तिलका मांझी को अन्न और पानी के अभाव में पहाड़ों से निकल कर लड़ना पड़ा और एक दिन वह पकड़े गए. कहा जाता है कि तिलका मांझी को चार घोड़ों से घसीट कर भागलपुर ले जाया गया. 13 जनवरी 1785 को उन्हें एक बरगद के पेड़ से लटकाकर फांसी दे दी गई थी.

Breaking Update : आज टाटा ग्रुप की हो जाएगी Air India Airline

69 साल अपने अधीन रखने के बाद आज सरकार एयर इंडिया को टाटा समूह को वापस कर सकती है. हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, आज यानी गुरुवार को सरकार एयर इंडिया एयरलाइन टाटा कंपनी को सौंप सकती है. टाटा कंपनी ने बीते साल अक्टूबर में एअर इंडिया की बोली जीती थी. इसको लेकर आज टाटा बोर्ड की अहम बैठक भी होने वाली है.

गौरतलब है कि बीते साल 2021 में टाटा ने सबसे बड़ी बोली लगाकर एयर इंडिया को जीत लिया था. टाटा कंपनी ने एअर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. हालांकि इससे पहले भी एयर इंडिया को बेचने की कोशिश की गई थी, लेकिन उस समय इसे सफलता नहीं मिली थी. इस कड़ी में 2001 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने एयर इंडिया की 40 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी.

इसके बाद मोदी सरकार में साल 2017 को सरकार ने एयर इंडिया के निजीकरण को मंजूरी दी. फिर साल 2018 में सरकार ने एयर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी और ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) जारी किया.

एयर इंडिया की हुई घर वापसी: जनवरी 2020 में भी सरकार ने एयर इंडिया की पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया. सरकार ने बोली लगाने के लिए निजी व्यवसायियों को आमंत्रित करने के लिए एक ईओआई भी जारी किया. लेकिन देश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के कारण बेचने की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया. इसके बाद सरकार ने 2021 के अक्टूबर में नीलामी की प्रक्रिया फिर शुरू की, और टाटा ने सबसे बड़ी बोली लगाकर इसे अपने नाम कर लिया.

गौरतलब है कि घर वापसी के बाद एयर इंडिया सार्वजनिक से निजी हाथों में आ जाएगी. उम्मीद की जा रही है कि इसमें कुछ बदलाव भी देखने को मिलेगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विमान के दरवाजे फ्लाइट टाइम से 10 मिनट पहले बंद होंगे. विमान में यात्रियों की मेहमान कहकर संबोधित किया जाएगा.

टाटा से सरकार, फिर सरकार से टाटा के पास पहुंची एयर इंडिया: गौरतलब है कि एयर इंडिया को सबसे पहले टाटा के जेआरडी टाटा ने 1932 में लांच किया था. टाटा समूह ने इसका नाम टाटा एयरलाइंस रखा था. फिर 1946 में इसका नाम एअर इंडिया कर दिया गया. इसके बाद 1954 में सरकार ने इसे टाटा से खरीद लिया. और उसका राष्ट्रीयकरण कर दिया.

‘पुष्पा नाम सुनकर फ्लावर समझे क्या, फ़ायर है मैं’ वाले डायलॉग का राज हैं श्रेयस तलपड़े

सोशल मीडिया हलचल : जब से एस.एस. राजामौली की फिल्म ‘बाहुबली’ रिलीज़ हुई साउथ इंडियन फिल्म के हिन्दी वर्जन की डिमांड और ज्यादा बढ़ गई है.

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अक्सर ऐसा होता है कि साउथ इंडियन स्टार्स के लिए मेकर्स प्रफेशनल वॉइसओवर आर्टिस्ट्स की मदद लेते हैं, लेकिन कई बार कई बार वे फिल्म के अहम किरदारों के लिए बॉलिवुड कलाकारों की आवाज भी उधार में लिया करते हैं.

टीवी पर नजर आनेवाली अल्लू अर्जुन की अधिकतर फिल्मों की हिन्दी डबिंग वॉइसओवर आर्टिस्ट संकेत म्हात्रे ने की है. हालांकि, अल्लू अर्जुन की हालिया रिलीज़ ‘पुष्पा: द राइज़’ के हिन्दी वर्जन की बात करें तो मेकर्स ने ‘गोलमाल’ फ्रैचाइज़ी ऐक्टर श्रेयस तलपड़े की आवाज को डब किया है.

जी हां, फिल्म ‘पुष्पा’ में जिस अल्लू अर्जुन को आप हिन्दी में बोलते सुन रहे हैं, वह बॉलिवुड ऐक्टर श्रेयस तलपड़े की आवाज है. ‘पुष्पा’ के जिस डायलॉग ‘पुष्पा नाम सुनकर flower समझे क्या, फ़ायर है मैं’ पर इतनी तालियां बजी हैं वो दरअसल श्रेयस तलपड़े ने अपनी आवाज में डब की है.

COVID-19 Bulletin Jharkhand : मंगलवार को 2,681 नए मामले और 2 मौतें

झारखंड : राज्य में कोरोना महामारी का कहर जारी है. मंगलवार को 2981 नए पॉजिटिव मामले मिले हैं. जबकि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 2 लोगों की मौत कोरोना से हुई है.

कोविड-19 बुलेटिन झारखंड के अनुसार मंगलवार को राज्य के विभिन्न जिलों से मिलाकर कुल 2981 मामले मिले हैं. जिनमें सबसे अधिक राजधानी रांची से 1,000 से अधिक मामले मिले.

राज्य के विभिन्न जिलों की कोरोनावायरस की रिपोर्ट देखने के लिए आप तस्वीर को Zoom करके अच्छे से देख सकते हैं.

COVID-19 BULLETIN JHARKHAND

वर्तमान में राज्य में 7,681 कोरोना के मामले सक्रिय हैं. इस बीच अब तक 34,51,35 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं. जिनमें पिछले 24 घंटों में 216 लोग शामिल हैं. पिछले 24 घंटों में कोरोना के लिए कुल 55,010 नमूनों का परीक्षण किया गया है.

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वहीं अब तक झारखंड में 1,81,92,285 लोगों की कोरोना जांच हो गई है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जानकारी दी कि झारखंड ने तीन करोड़ डोज का आंकड़ा पार कर लिया है.

ट्रेन से बारात या तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए अब रिजर्वेशन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा

Indian Railways : आपको ट्रेन से बारात ले जानी है या तीर्थ यात्रा पर जाना हो तो अब रिजर्वेशन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. सौ यात्रियों तक की ग्रुप टिकट बुक करने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन या आरक्षण केंद्र से ही तुरंत अनुमति मिल जाएगी.

जबलपुर रेल मंडल में अब पार्टी आरक्षण की सुविधा मंडल के सभी आरक्षण केन्द्रों पर भी उपलब्ध करा दी गयी है. पश्चिम मध्य रेल के जबलपुर स्थित मुख्यालय से जारी आदेश में इस सम्बन्ध में दिशा निर्देश दिये गए है.

जबलपुर के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विश्व रंजन में बताया कि अभी तक 20 से अधिक लोगो(ग्रुप टिकट) के अग्रिम आरक्षण के लिए आवेदक को मंडल कार्यालय में आकर ही आवेदन देना पड़ता था, जिससे बाहर के लोगो को बहुत असुविधा होती थी.

नए आदेश से 15 से 30 यात्रियों के आरक्षण हेतु रेलवे ने आरक्षण केंद्र के मुख्य आरक्षण पर्येक्षक सहित स्टेशन प्रबंधक, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक को अनुमति देने के अधिकार दे दिए गए है. 31 से 100 यात्रियों के अग्रिम पार्टी आरक्षण हेतु स्टेशन डायरेक्टर, क्षेत्रीय प्रबंधक एवं सहायक वाणिज्य प्रबंधक को अधिकार होगा.

100 से अधिक यात्री होने पर ही मंडल के मंडल वाणिज्य प्रबंधक के पास आवेदन के लिए आना होगा. अधिकारों के विकेंद्रीकरण के बाद अब आवेदक अपने नजदीक के रेल आरक्षण केंद्र या आरक्षण टिकिट खिड़की पर जाकर पार्टी बुकिंग की सुविधा का लाभ ले सकते है.

पार्टी बुकिंग (ग्रुप आरक्षण) की सुविधा का विकेन्द्रीकरण होने से अब जबलपुर रेल मंडल के मुख्यालय से नजदीकी शहर रीवा, सतना, मैहर, कटनी, नरसिंहपुर, करेली, पिपरिया, दमोह,सागर सहित अन्य छोटे स्टेशनों के लोगों को भी ग्रुप टिकट बनाने के लिए भटकना नहीं होगा.इससे अब लोगो को जबलपुर आकर अनुमति लेने की आवश्कता नहीं रहेगी.

शादीशुदा टीचर ने छात्रा को प्रेम जाल में फंसाया, प्यार में छात्रा ने हाथ काटा तो परिजनों ने जमकर टीचर को पीटा

बिहार : बहुत पुरानी कहावत है प्यार की ना तो कोई उम्र होती है और ना ही कोई बंधन प्यार तो बस प्यार देखता है यह कब कहां किससे हो जाए कोई नहीं जानता लेकिन कई प्रेम कहानी ऐसी भी होती है.

जो चौंकाने वाली होती है एक ऐसा ही मामला सामने आया है प्यार जो ना करा दे, ये कहावत तो आपने सुनी होगी पर कोई प्यार में ऐसा पड़े कि उम्र-रुतबे का लिहाज दूर हो जाए तो क्या कहेंगे ऐसी ही अनोखी लव स्टोरी सामने आई है.

प्रेमी टीचर को परिजनों ने पीटा

खबर झारखंड से नहीं बल्कि बिहार के मुंगेर जिले का बताया जा रहा है पूरा मामला मुंगेर के कासिम बाजार थाना क्षेत्र के लल्लूपोखर का है जहां एक गुरु ने गुरु -शिष्य के रिश्ते को शर्मसार कर दिया है.

इस लव स्टोरी में स्टूडेंट-टीचर के बीच का ऐसा प्यार है, जिसने सारी बंदिशों को तोड़ दिया यही वजह है कि इनके प्यार की काफी चर्चा हो रही है. बताया जा रहा है कि शादीशुदा टीचर सूरज कुमार ने स्नातक पार्ट-1 कि एक छात्रा को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया हालांकि गुरु और शिष्य का यह प्यार मोहब्बत काफी दिनों से चलता रहा था.

एक दिन प्यार और मोहब्बत में गुरु और शिष्य में कुछ बात को लेकर आक्रोश हुआ आक्रोश में आकर प्रेमिका शिष्य ने अपने गुरु के प्यार को पाने के लिए शिष्य प्रेमिका ने आक्रोश में आकर अपना हाँथ काट लिया फिर क्या था प्रेमिका के परिजनों ने बुरी तरह से टीचर की पिटाई कर दी सदर अस्पताल परिसर में काफी देर तक हाइ वोल्टेज ड्रामा चलता रहा.

गढ़वा में बनेगा क्रिकेट स्टेडियम, 10 एकड़ भूमि चिन्हित

गढ़वा : गढ़वा विधायक सह राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि गढ़वा में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम बनेगा. गढ़वा में अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम बनने से गढ़वा को देश और विदेश स्तर पर पहचान मिलेगा.

मंत्री ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं. स्टेडियम के लिए करीब दस एकड़ भूमि चिन्हित करा लिया गया है.

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स्टेडियम निर्माण कार्य के लिए भूमि चिन्हित का कार्य अंतिम चरण में है. सदर अंचल के सीओ मयंक भूषण ने अधिकारियों के साथ स्थल पर पहुंचकर उसका भौतिक सत्यापन भी कर लिया है.

भूमि चिन्हित होने के साथ ही स्टेडियम निर्माण से संबंधित सभी अड़चनों को दूर कर स्टेडियम निर्माण कराने के दिशा में तेज गति से काम किया जाएगा.

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण होने से गढ़वा के साथ-साथ पलामू, लातेहार सहित अगल-बगल के अन्य जिलों के खिलाड़ियों के अंदर छुपी हुई प्रतिभा को निखारने का अवसर प्राप्त होगा मंत्री ने कहा कि हेमंत सरकार राज्य में खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए दृढ़संकल्पित है.

खेल के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सरकार सीधी नियुक्त कर रही है. उन्होंने कहा कि वह खेल के विकास के साथ सभी क्षेत्रों में गढ़वा को अग्रणी बनाने के दिशा में काम कर रहे है. उन्होंने बताया कि गढ़वा में बहुत जल्द ही नए समाहरणालय भवन का शिलान्यास होगा.

इसके अलावा जिले की बहुप्रतिक्षित सिंचाई, सड़क और पुल की कई बड़ी योजनाएं का भी शिलान्यास मुख्यमंत्री से कराया जाएगा. मंत्री ने कहा कि आने वाला समय में विकास के मामला में गढ़वा एक विकसित जिला में रूप में जाना जाएगा.

21 साल बाद झारखंड अभी भी वही खड़ा, 14 नवंबर की आधी रात बिहार से अलग हुआ अपना झारखंड

मुबारक अंसारी की लेख

युवा समाजसेवी, गढ़वा

झारखंड : 14 नवंबर की आधी रात झारखंड ने बिहार को अलविदा कह दिया. सन 2000 को महान बिरसा मुंडा के जयंती दिवस के पावन बेला को झारखंड राज्य का गठन हुआ.

उपेक्षा, शोषण एवं अन्य पीड़ाए को भेदते हुए झारखंड का सूर्य आशा, अपेक्षा और उम्मीद की किरण लेकर उदित हुआ. झारखंड के निर्माण के पीछे तिलका माँझी, बिरसा मुंडा, चाँद-भैरव, सिंदू- कांहू, शेख भिखारी जैसे कई वीर शहीदों का सपना था.

एक ऐसा सपना जिसमे झारखंडियो का उनका हक़ हकूक मिल सके एवं दीकुवों से छुटकारा मिल सके. प्रकृति से मिले वरदान स्वरूप खनिज सम्पदा, नदी, हरे भरे पेड़ों का भंडार पर झारखंडियो का हक़ हो और अपना राज्य उन्नति के पथ पर अग्रसर हो.

आज 21 साल बाद झारखंड अभी भी वही खड़ा है. हमारा सपनों का झारखंड हासिये पर खड़ा है बड़ा अफसोस होता है ये जानकर की देश का सबसे अमीर राज्य होकर भी यहाँ सबसे ज्यादा ग़रीबी, बेरोजगारी, पलायन जैसे समस्या शीर्ष पर विधमान हैं.

इस युवा झारखंड मे युवा आत्महत्या करने को मजबूर हैं JPSC, JSSC जैसे चयन विभागों में पारदर्शिता की कमी है, भ्रस्टाचार चरम पर पहुँच चुकी हैं. आए दिन रोज ही मोहरबादी मैदान में गलत चयन प्रकिर्या के विरुध में विरोध का सूर देखने को मिलता है.

इन्हे तो विरोध करने का भी हक़ नही मिलता, इन पर लाठियाँ बरसाई जाती हैं. इस 21 साल के दौरान, चाहे भाजपा हो, जे एम एम हो, या काँग्रेस सब ने झारखंड को लूटने का किया.

मैं ख़ुद निलाम्बार पीतांबर की धरती पलामू परगना से हूँ जहाँ न कल कारखाने हैं, न ही कोई रोजगार के अवसर। यहाँ पढ़े लिखे युवा दूसरे राज्य में पलायन होने को मजबूर हैं.

मेरे सपनो का झारखंड बनाना अभी भी बाकी है, जब तक आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्गो को उनके हक़, भूखे को अनाज, युवाओं को रोजगार नहीं मिल जाती मेरे पूर्वजो के अलग राज्य बनाने का सपना अधूरा है.

युवाओं, समाजसेवी, विभिन्न सामाजिक संगठन एक होकर झारखंड के हित मे स्थानीय नीति बनाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की आवश्यकता है. जब तक मेरे सपनों का झारखंड नहीं बन जाता तब तक उलगुलान करते रहना होगा.

झारखंड या अन्य राज्यों से आप छत्तीसगढ़ की यात्रा करते हैं तो आपके लिए यह बहुत जरूरी खबर है..

झारखंड | छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में बढ़ते सड़क हादसों के कारण बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार ने वाहनों की जुर्माना राशि में भारी बढ़ोतरी की है.

जुर्माना राशि में 10 गुना तक का इजाफा किया गया है. इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है. लापरवाही से वाहन चलाने वालों को अब पहले से ज्यादा जुर्माना चुकाना पड़ेगा.

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इसमें ओवरलोड वाहन चलाने पर 2 हजार की जगह अब 10 हजार का जुर्माना देना होगा, जबकि वाहन के आकार से बाहर निकले समान वाले वाहनों पर जुर्माना राशि 2 हजार से बढ़ाकर 20 हजार की गई है.

दरअसल लंबे समय से सड़क हादसे में अंकुश लगाने के लिए बड़े एक्शन की चर्चा थी. आए दिन तेज रफ्तार और अनियंत्रित वाहन चलाने पर सड़क हादसे में लोगों की जान जा रही थी.