सोशल मीडिया हलचल

झारखंड सरकार में मंत्री चंपई सोरेन ने प्रधानमंत्री मोदी से पत्रकार की मदद करने का किया अनुरोध

झारखंड : आज 16 नवंबर को देशभर में राष्ट्रीय पत्रकार दिवस मनाया जा रहा है। लेकिन झारखंड राज्य के पलामू जिले के पत्रकार परमानंद चौधरी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। परमानंद चौधरी को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के Oriana Hospital में भर्ती कराया गया है।

परमानंद चौधरी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। और यह नई बात नहीं है। अधिकांश पत्रकार की आर्थिक स्थिति अब तक अच्छी नहीं रही है, अगर सरकार पत्रकारों के हित में लाभकारी फैसले लें तो राष्ट्रीय पत्रकार दिवस पर पत्रकारों को सच्ची आत्मसम्मान की बात होगी।

बरहाल बात हम परमानंद चौधरी की करते हैं। परमानंद चौधरी को ब्रेन हेम्ब्रेज है। जैसा कि आपको पहले ही बता दिया गया है। परमानंद चौधरी इलाज के लिए वाराणसी के Oriana Hospital में भर्ती हैं। लेकिन उनका इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत नहीं किया जा रहा है।

आयुष्मान भारत योजना के तहत परमानंद के इलाज के लिए सोशल मीडिया (ट्विटर) पर पत्रकार और युवा समाजसेवी रहमान खान ने उठाया और इस मामले पर झारखंड सरकार में मंत्री चंपई सोरेन ने इस ट्वीट को गंभीरता से लेते हुए। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ट्विटर पर एक अनुरोध किया है।

मंत्री चंपई सोरेन ट्विटर पर लिखा है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी झारखंड का एक पत्रकार आपके संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अस्पताल में आयुष्मान भारत के तहत इलाज की गुहार लगा रहा है। आपसे अनुरोध है कि कृपया उनकी मदद करें।

Birsa Munda Jayanti 2022 : BHU वाराणसी में पहली बार मनाया गया बिरसा मुंडा जयंती

वाराणसी : राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के मद्देनजर बीएचयू के छात्र कल्याण केंद्र सभागार में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती सह झारखण्ड राज्य स्थापना दिवस का आयोजन किया गया.

यह कार्यक्रम बीएचयू में अध्ययरत झारखण्डी छात्र-छात्राओं के कुशल नेतृत्व में संचालित झारखण्डी छात्र समिति के तत्वावधान में आयोजित हुआ.

इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि सह वक्ता के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले प्रोफेसर डॉ. अमरनाथ पासवान, डॉ. महेंद्र प्रसाद कुशवाहा, डॉ. प्रियंका झा, डॉ. अभिलाषा एलिजा, डॉ. सरस्वती मैम तथा मालवीय एकेडमी के सीईओ सूरज भारद्वाज ने बिरसा मुंडा के जीवन-मूल्यों, उनके आदर्शों तथा जनजातीय समाज की पुरातन व समृद्ध संस्कृति पर प्रकाश डाला.

अतिथियों ने झारखण्डी छात्र समिति के इस पहल की भूरी-भूरि प्रशंसा की और कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में झारखण्डी विद्यार्थियों के बीच परस्पर सहयोग को स्थापित करने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि झारखण्ड की क्षेत्रीय अस्मिता को बीएचयू परिसर में बनाये रखने के लिये खुद को एकात्मकता के सूत्र में पिरोना जरूरी है.
कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन में चंदन कुमार मेहता, शुभम कुमार साह, सुदर्शन, राजीव नयन, आयुष कौंधवे, सुरुचि सहित अन्य सदस्यों की भूमिका उल्लेखनीय रही.

श्रीनगर (झारखंड) और पंडुका (बिहार) में सोन नदी पर बन रहे पुल का आज हुआ शिलान्यास

Written by Amit Suman (Managing Editor)

गढ़वा | पलामू : सोन तटीय क्षेत्रों की वर्षों पुरानी मांग सोन नदी पर पुल निर्माण का सपना आज साकार हो गया। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आज बिहार के रोहतास में सोन नदी पर पण्डुका के पास 210 करोड़ रुपए की लागत से 1.5 किमी लंबाई के 2-लेन उच्चस्तरीय आर.सी.सी. पुल के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया।

शिलान्यास कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल, सासाराम सांसद छेदी पासवान, पलामू सांसद विष्णु दयाल राम की उपस्थिति में आज शिलान्यास किया गया। इस पुल के बनने से NH-19 और NH-39 सीधे जुड़ जाएंगे।

जिससे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच आवागमन सुगम हो जाएगा। वर्तमान में रोहतास जिले के पण्‍डुका और झारखंड के गढ़वा जिले से श्रीनगर पहुॅंचने में 150 किमी अंतर तय करना पड़ता है। इस पुल के बनने से इस सफर में चार घंटे की बचत होगी।

डेहरी पुल पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा और औरंगाबाद, सासाराम शहरों को जाम की समस्या से भी छुटकारा मिलने में आसानी होगी। पण्डुका क्षेत्र में इस पुल के बनने से आस- पास के क्षेत्रों के और राज्यों के औद्योगिक एवं कृषि और डेयरी उत्पाद की बाजार तक पहुॅंच आसान होगी। इससे समय और ईंधन की भी बचत होगी।

इधर नाविक अमर चौधरी ने कहा कि श्रीनगर में संचालित हरिहरपुर नाव घाट आठ लाख अस्सी हजार में पिछले साल डाक हुआ था। नाव परिचालन से कई लोगों का रोजी रोजगार मिलता था लेकिन पुल बनने से खुशी है। मेरौनी गांव निवासी सह बिहार के परछा मध्य विद्यालय में कार्यरत जयेंद्र तिवारी ने बताया कि सोन नदी पार कर प्रतिदिन विद्यालय जाने में काफी परेशानियों का सामना किया है।

गढ़वा : यहां 75% आबादी मुस्लिम इसलिए नियम हमारे अनुसार बनें !

झारखंड : गढ़वा जिले के सदर प्रखंड के कोरवाडीह स्थित उत्क्रमित विद्यालय में धर्म के नाम पर एक नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. इलाके में बहुसंख्यक आबादी वाले मुस्लिमों ने मनमानी करने की कोशिश की है. यहां के मुस्लिम समाज के लोगों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने स्कूल में केवल इसलिए प्रार्थना बदलाव दी क्योंकि यहां इस्लाम मानने वालों की आबादी ज्यादा है.

बीजेपी विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा है कि ‘तुष्टिकरण की राजनीति जरा सा भी स्वीकार नहीं. साथ ही उन्होंने शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो से मुलाकात कर घटना पर क्षोभ प्रकट किया. श्री शाही ने बताया कि मंत्री ने तुरंत DC, SP गढ़वा को फ़ोन कर कार्यवाई करने को कहा है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्कूल में कई साल से से बच्चे क्लास शुरू होने से पहले एक ही प्रार्थन करते आ रहे थे. आरोप है कि इलाके मुस्लिम समाज के लोगों ने मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक युगेश राम पर दबाव बनाकर प्रार्थना बदलने को कहा है. मुस्लिम समाज के लोगों का कहना कि स्थानीय स्तर पर अल्पसंख्यक समाज की आबादी 75 प्रतिशत है, इसलिए नियम भी उनके अनुरूप ही बनने चाहिए.

मुस्लिम समाज के लोगों के दबाव के कारण प्रधानाध्यापक को स्कूल में वर्षों से चली आ रही प्रार्थना को बंद करना पड़ा. अब यहां ‘दया कर दान विद्या का…’ प्रार्थना को बंद करवाक ‘तू ही राम है, तू रहीम है…’ प्रार्थना शुरू कराना पड़ा. इतना ही नहीं प्रार्थना के दौरान बच्चों को हाथ जोड़ने से भी मना करा दिया गया है.

प्रधानाध्यापक की ओर से इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी सूचना देकर यह जानकारी दी गयी है. इसमें कहा गया है कि लंबे समय से मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी 75 प्रतिशत आबादी का हवाला देकर अपने कहे अनुसार नियमों के संचालन का दबाव बनाया जा रहा है.

गढ़वा के प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी कुमार मयंक भूषण ने स्वीकार किया है कि विद्यालय में प्रार्थना सभा को अपने हिसाब से कराने को लेकर स्कूल के शिक्षकों को मजबूर किये जाने की सूचना मिली है. इसकी जांच करायी जाएगी. सरकारी आदेश की अवहेलना करने की किसी को इजाजत नहीं दी जाएगी.

इधर, कोरवाडीह पंचायत के मुखिया शरीफ अंसारी ने बताया कि उन्हें भी स्कूल के प्रधानाध्यापक से इस तरह के विवाद की जानकारी मिली है. वे विद्यालय प्रबंधन समिति और ग्रामीणों को बैठक कर इसका समाधान निकालने का प्रयास करेंगे और हर हाल में गंगा-जमुनी तहजीब को बरकरार रखा जाएगा.

Agnipath Scheme : इंडियन एयर फ़ोर्स में आज से आवेदन शुरू, जानिए कैसे करें आवेदन

Agnipath Scheme 2022 : अग्निपथ योजना 2022 के माध्यम से इंडियन एयर फ़ोर्स की भर्ती आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार आज, 24 जून, 2022 से शुरू हो रही है.

भारतीय वायु सेना ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय वायु सेना में आवेदन करने के इच्छुक लोगों के लिए महत्वपूर्ण तिथियों की सूचना जारी की.

इच्छुक उम्मीदवार इस योजना के लिए सीधे अपनी आधिकारिक वेबसाइट के (careerindianairforce.cdac.in) माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

अग्निपथ योजना 2022 पंजीकरण के माध्यम से
भारतीय वायु सेना भर्ती 5 जुलाई, 2022 को
नोटिस के अनुसार समाप्त होगी. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अग्निवीर के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए, पात्रता मानदंडों को पूरा करना महत्वपूर्ण है.

भारतीय वायु सेना भर्ती के लिए महत्वपूर्ण तिथियां :- ऑनलाइन पंजीकरण जमा करने की प्रारंभिक तिथि: 24 जून, 2022- ऑनलाइन पंजीकरण जमा करने की अंतिम तिथि: 5 जुलाई, 2022- परीक्षा तिथि: 24 जुलाई, 2022 से आगे

Ranchi Violence : रांची में हिंसक प्रदर्शन में 2 की मौत, कांग्रेस विधायक ने मांगा 50-50 लाख मुआवजा और नौकरी

झारखंड : पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ निलंबित भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल की कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राजधानी रांची में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद भीड़ द्वारा की गई हिंसा तथा उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में घायल 15 साल के मुदस्सिर आलम और 24 साल के साहिल की मौत हो गई है.

रांची में हुए प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से गोली लगने के बाद सभी घायलों सहित इन दोनों को रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था, संस्थान के आधिकारिक सूत्रों ने इन दोनों की मौत की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, “कल हुई हिंसा के दौरान हमें प्रदर्शनकारियों की तरफ़ से भी फ़ायरिंग की जानकारी मिली है. उग्र लोगों को क़ाबू करने के लिए पुलिस ने भी हवाई फायरिंग की.

इस दौरान 12 पुलिसकर्मी और 12 प्रदर्शनकारी घायल हुए. इनमें एक पुलिसकर्मी समेत कुछ लोगों को बुलेट इंजरी है.”झारखंड पुलिस के प्रवक्ता अमोल वी होमकर” के मुताबिक मौजूदा समय में 22 घायलों में से कुछ की स्थिति गंभीर है. उन्होंने कहा, “इनमें से दो-तीन लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. बाक़ी लोगों की स्थिति डॉक्टरों के मुताबिक़ ठीक कही जा सकती है.”

इधर रांची में हिंसक प्रदर्शन के बाद जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफ़ान अंसारी ने प्रदर्शन को लेकर ट्विटर पर लगातार तीन ट्वीट किए हैं.

पहला ट्वीट : रांची की घटना ने प्रदेश को शर्मसार कर दिया दिया. पुलिस का काम रक्षा करना है, गोली चलाना नहीं. रांची में सिटी एसपी की कार्यशैली पहले से ठीक नहीं रही है. इनके कण कण में नफ़रत और भेदभाव बसा है.

दूसरा ट्वीट : मेरे लाख मना करने के बाद भी इनकी पोस्टिंग कैसे रांची में कर दी गई ये सोचने का विषय है. प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का निर्देश किसके कहने पर दिया गया. सिटीएसपी पहले से संदेह के घेरे में रहे हैं, आज की घटना उसी का परिणाम है.

तीसरा ट्वीट : मैं मृतकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ और माननीय मुख्यमंत्री से मृतक परिवार के लिए सरकारी नौकरी के साथ-साथ 50 लाख मुआवज़ा की माँग करता हूँ.

झारखंड : रेलवे ट्रैक पर तीन नाबालिग छात्राओं की मिली शव! इलाके में सनसनी

झारखंड : राज्य की उपराजधानी दुमका में एक दिल दहला देने वाला खबर सामने आया है, जिससे पढ़ कर आपमें भी सनसनी फैल जायेगी. चलिए खबर आपको विस्तार से बताते हैं, खबर दुमका जिले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के बरमसिया रेलवे स्टेशन के पास की है. जहां रेलवे ट्रैक पर एक नाबालिग छात्रा और दो नाबालिग छात्र का शव मिला है.

यह तीनों छात्र शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के अलग-अलग गांव में रहने वाले थें. सूचना मिलने के बाद परिवार वाले घटनास्थल पर पहुंचे हैं. घटना को लेकर फिलहाल कुछ भी अस्पष्ट कहा नहीं जा सकता, लेकिन कुछ लोगों का यह कहना है कि आत्महत्या हो सकता है. एक छात्र 11वीं में पढ़ाई करता था, वहीं दूसरा छात्र 8वीं में पढ़ाई कर रहा था. ये दोनों एक ही गांव के रहने वाले हैं.

जबकि नाबालिग छात्रा जिसका शव उन्हीं के साथ मिला है वो 5वीं क्लास में पढ़ाई कर रही थी. वो छात्रा घटनास्थल से कुछ दूर ही दूसरे गांव की निवासी है. इन छात्रों के परिवार वालों को जैसी घटना की सूचना मिली सभी यहां मौके पर पहुंच गए और इस घटना के बाद गांव में सनसनी फैली हुई है. परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है.

तिलक मांझी जिन्होंने ने अंग्रेज़ कलेक्टर को अपने जहरीले तीर से मार गिराया

झारखंड/बिहार : तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 को बिहार के सुल्तानगंज में ‘तिलकपुर’ नामक गाँव में एक संथाल परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम सुंदरा मुर्मू था. वैसे उनका वास्तविक नाम ‘जबरा पहाड़िया’ ही था. तिलका मांझी नाम तो उन्हें ब्रिटिश सरकार ने दिया था.

पहाड़िया भाषा में ‘तिलका’ का अर्थ है गुस्सैल और लाल-लाल आंखों वाला व्यक्ति. साथ ही वे ग्राम प्रधान थे और पहाड़िया समुदाय में ग्राम प्रधान को मांझी कहकर पुकारने की प्रथा है. तिलका नाम उन्हें अंग्रेज़ों ने दिया. अंग्रेज़ों ने जबरा पहाड़िया को खूंखार डाकू और गुस्सैल (तिलका) मांझी (समुदाय प्रमुख) कहा. ब्रिटिशकालीन दस्तावेज़ों में भी ‘जबरा पहाड़िया’ का नाम मौजूद हैं पर ‘तिलका’ का कहीं उल्लेख नहीं है.

तिलका मांझी उर्फ ‘जबरा पहाड़िया’ (जन्म 11 फ़रवरी 1750 13 जनवरी 1785)

तिलका ने हमेशा से ही अपने जंगलो को लुटते और अपने लोगों पर अत्याचार होते हुए देखा था. गरीब आदिवासियों की भूमि, खेती, जंगली वृक्षों पर अंग्रेज़ी शासकों ने कब्ज़ा कर रखा था. आदिवासियों और पर्वतीय सरदारों की लड़ाई अक्सर अंग्रेज़ी सत्ता से रहती थी, लेकिन पर्वतीय जमींदार वर्ग अंग्रेज़ी सत्ता का साथ देता था.

धीरे-धीरे इसके विरुद्ध तिलका आवाज़ उठाने लगे. उन्होंने अन्याय और गुलामी के खिलाफ़ जंग छेड़ी. तिलका मांझी राष्ट्रीय भावना जगाने के लिए भागलपुर में स्थानीय लोगों को सभाओं में संबोधित करते थे. जाति और धर्म से ऊपर उठकर लोगों को देश के लिए एकजुट होने के लिए प्रेरित करते थे.

साल 1770 में जब भीषण अकाल पड़ा, तो तिलका ने अंग्रेज़ी शासन का खज़ाना लूटकर आम गरीब लोगों में बाँट दिया. उनके इन नेक कार्यों और विद्रोह की ज्वाला से और भी आदिवासी उनसे जुड़ गये. इसी के साथ शुरू हुआ उनका ‘संथाल हुल’ यानी कि आदिवासियों का विद्रोह. उन्होंने अंग्रेज़ों और उनके चापलूस सामंतो पर लगातार हमले किए और हर बार तिलका मांझी की जीत हुई.

साल 1771 से 1784 तक जंगल के इस बेटे ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध लंबा संघर्ष किया. उन्होंने कभी भी समर्पण नहीं किया, न कभी झुके और न ही डरे.
उन्होंने स्थानीय सूदखोर ज़मींदारों एवं अंग्रेज़ी शासकों को जीते जी कभी चैन की नींद सोने नहीं दिया.

अंग्रेज़ी सेना ने एड़ी चोटी का जोर लगा लिया, लेकिन वे तिलका को नहीं पकड़ पाए. ऐसे में, उन्होंने अपनी सबसे पुरानी नीति, ‘फूट डालो और राज करो’ से काम लिया. ब्रिटिश हुक्मरानों ने उनके अपने समुदाय के लोगों को भड़काना और ललचाना शुरू कर दिया. उनका यह फ़रेब रंग लाया और तिलका के समुदाय से ही एक गद्दार ने उनके बारे में सूचना अंग्रेज़ों तक पहुंचाई.

सुचना मिलते ही, रात के अँधेरे में अंग्रेज़ सेनापति आयरकूट ने तिलका के ठिकाने पर हमला कर दिया. लेकिन किसी तरह वे बच निकले और उन्होंने पहाड़ियों में शरण लेकर अंग्रेज़ों के खिलाफ़ छापेमारी जारी रखी. ऐसे में अंग्रेज़ों ने पहाड़ों की घेराबंदी करके उन तक पहुंचने वाली तमाम सहायता रोक दी.

इसकी वजह से तिलका मांझी को अन्न और पानी के अभाव में पहाड़ों से निकल कर लड़ना पड़ा और एक दिन वह पकड़े गए. कहा जाता है कि तिलका मांझी को चार घोड़ों से घसीट कर भागलपुर ले जाया गया. 13 जनवरी 1785 को उन्हें एक बरगद के पेड़ से लटकाकर फांसी दे दी गई थी.

झारखंड के बच्चे Banaras Hindu University में राज्य की पहचान के लिए प्रयासरत

झारखंड-बनारस : 10 फ़रवरी दिन गुरुवार को बीएचयू में अध्ययनरत और पुरवर्ती छात्रों की एक सभा हुई जिसमें झारखंड की वर्तमान परिस्थितियों, इसके इतिहास और सांस्कृतिक पहलुओं पर चर्चा की गई.

जिसमें आकांक्षा आज़ाद, चन्दन मेहता, सुदर्शन कुमार, राजीव नयन, आयुष कुमार, शुभम् शाह, शुभम् पांडेय, विवके भगत और अन्य छात्र मौजूद रहे.

इन सब ने बताया कि अंतर्राजीय और देश के पटल पर झारखंड की पहचान गौण हो जा रही है. कभी पड़ोसी राज्यों के साथ, तो कभी उत्तर भारत के साथ इसकी पहचान समेट दी जाती है.

छात्रों ने बताया कि झारखंड की अस्मिता, संस्कृति और ज्वलंत मुद्दों को राज्य के बाहर भी विमर्श और चर्चा के लिए स्थापित करना चाहते हैं. झारखंड के संसाधनों और उसे बाहर हस्तांतरित किए जाने के प्रश्न पर भी विस्तार से चर्चा की गई.

झारखंड में 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी को फांसी की सज़ा

झारखंड : धनबाद में 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले में पॉक्सो की विशेष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया. इसमें अदालत ने पुटकी के रहने वाले डब्लू मोदी को दोषी करार दिया और उसे उसके गुनाह के लिए फांसी की सजा सुनाई है. पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश प्रभाकर सिंह की अदालत ने बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या व साक्ष्य छुपाने के मामले में डब्लू को दोषी करार दिया था. अदालत ने उस पर 11 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है.

पॉक्सो स्पेशल कोर्ट के लोक अभियोजक अनिल कुमार सिंह ने बताया कि पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश प्रभाकर कुमार सिंह की अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल सात गवाह अदालत में पेश किए गए थे. बच्ची का शव मिलने के बाद पोस्टमार्टम कराया गया था. एफएसएल और डीएनए जांच विधि विज्ञान प्रयोगशाला में कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट अदालत में सौंपी गई थी. गवाहों के बयान और सभी जांच रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया.

क्या था पूरा मामला

पॉक्सो स्पेशल कोर्ट के लोक अभियोजक अनिल कुमार सिंह ने बताया कि 28 अप्रैल 2018 को डब्लू मोदी बच्ची को उसके परिजनों से यह कहकर ले गया था कि वह उसे भोज खिलाने ले जा रहा है. इसके बाद जब डब्लू वापस घर आया तो बच्ची उसके साथ नहीं थी. परिजनों ने पूछा तो उसने अनभिज्ञता जताई. बाद में स्थानीय लोगों ने बताया कि बच्ची को डब्लू जैतूडीह जंगल की ओर ले जा रहा था. इस पर बच्ची की मां ने पुटकी थाने में मामले को लेकर डब्लू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने जैतूडीह जंगल से बच्ची के शव को बरामद किया था.